मन उस बच्चे की तरह है, जिसे एक बार नहीं, बार - बार समझाने की जरुरत है |
में शुरुआत में जब ब्रह्माकुमारी में आई तो एक बात थी जो में Accept नहीं कर पा रही थी ,यहाँ कहा जाता था की यहाँ खुद परमात्मा पढ़ा रहे है, लेकिन जब मेने समझा और पढ़ा तब पता चला यहाँ खुद परमात्मा पढ़ा रहे है| Bk Shivani
एक मित्र ने कहा -गुप्ता जी, में विवाह इस कारण नहीं करना चाहता हु की मुझे स्त्रियो से दर लगता है गुप्ता जी ने समझाया-ऐसी बात है तो तुरंत विवाह कर डालो, में अपनी अनुभव से कहता हु की विवाह के बाद एक ही स्त्री का भय रह जाता है